समय में थमा हुआ शहर चेत्तिनाड,जहाँ हवेलियाँ बोलती हैं

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  Chettinad a timeless town दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित चेत्तिनाड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने भारतीय इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई है। यह क्षेत्र नागरथर या चेत्तियार समुदाय का पारंपरिक घर माना जाता है। नागरथर समुदाय अपनी व्यापारिक समझ, उदार दानशीलता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। सदियों पहले जब भारत व्यापार के केंद्रों में से एक था, तब इस समुदाय ने बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में व्यापार का विशाल नेटवर्क स्थापित किया। इस वैश्विक दृष्टि और संगठन ने चेत्तिनाड को समृद्धि और पहचान दिलाई। भव्य हवेलियों में झलकती समृद्धि चेत्तिनाड की सबसे प्रभावशाली पहचान इसकी भव्य हवेलियों में झलकती है। इन हवेलियों का निर्माण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब नागरथर व्यापारी वर्ग अपने स्वर्ण काल में था। बर्मी टीक की लकड़ी, इटली की टाइलें और यूरोपीय संगमरमर से सजे ये घर भारतीय पारंपरिक वास्तुकला और विदेशी प्रभाव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। विशाल आंगन, नक्काशीदार दरवाजे और कलात्मक खिड़कियाँ इन हवेलियों को एक अलग ही भव्यता प्रदान करती हैं। ...

दुनिया की पहली फोटो की कहानी

एक कप चाय और कुछ अधूरी बातें 

जानिए कैसे जोसेफ नाइसफोर निएप्स ने 1826 में इतिहास की पहली फोटो ली

( दुनिया की पहली फोटो )
1826 की एक फ्रांस की दोपहर में, जोसेफ नाइसफोर निएप्स नाम के एक वैज्ञानिक ने इतिहास की पहली तस्वीर कैद की। उस वक्त कैमरे आज जैसे नहीं थे, बल्कि एक बड़ा लकड़ी का डिवाइस था जिसमें बिटुमेन नामक केमिकल लगी एक प्लेट थी। उन्होंने अपने घर की खिड़की से बाहर का दृश्य उस प्लेट पर कैमरा ऑब्स्क्यूरा की मदद से कैद किया। इस प्रक्रिया में सूरज की रोशनी लगभग 8 घंटे तक लगी रही। धीरे-धीरे एक धुंधली सी परछाई प्लेट पर उभरने लगी, जो दुनिया की पहली तस्वीर बनी। इसे “View from the Window at Le Gras” कहा जाता है।

जोसेफ निएप्स को उस वक्त शायद पता नहीं था कि उनके इस छोटे प्रयोग से पूरी दुनिया की यादें कैद करने का रास्ता खुल जाएगा। इस तस्वीर ने फोटोग्राफी की नींव रखी, जो आगे चलकर मोबाइल कैमरे और डिजिटल फोटोग्राफी तक पहुंची। यह तस्वीर आज भी University of Texas में सुरक्षित रखी गई है और निएप्स को “Father of Photography” कहा जाता है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बड़ी खोजें अक्सर छोटे कदमों से शुरू होती हैं। अगर निएप्स ने अपनी मेहनत और धैर्य नहीं दिखाया होता, तो शायद हम आज

अपनी यादों को तस्वीरों में नहीं संजो पाते। एक सपना और एक प्रयास पूरी दुनिया बदल सकता है।

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टिप्पणियाँ

  1. दुनिया के पहले फ़ोटो के बारे में जानकारी बहुत ज्ञान वर्धक लगा । इसी तरह के सुंदर लेख अपने ब्लॉग The Bolti Kalam पर प्रकाशित करते रहें ।
    - सुदर्शन

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