“चंबल की घाटियों में छुपी स्वर्ग जैसी शांति—मुचुकुंद मंदिर
राजस्थान के धौलपुर ज़िले की शांत वादियों में बसा मुचुकुंद मंदिर सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सदियों पुराने इतिहास, आस्था और लोककथाओं से ओत-प्रोत एक जीवंत धरोहर है। अरावली की पथरीली छाया और चंबल के किनारों की सुहानी हवा के बीच यह स्थान ऐसा लगता है मानो समय यहां ठहरकर अपनी कहानियाँ सुनाता हो। कहा जाता है कि यहां राजा मुचुकुंद ने लंबी तपस्या की थी और इसी तपस्या की ऊर्जा ने इस धरा को अलौकिक बना दिया। मंदिर की प्राचीन दीवारें, जटिल नक़्क़ाशी और शांत परिवेश हर आगंतुक को एक अलग ही आध्यात्मिक अनुभूति प्रदान करते हैं। मंदिर परिसर में बने कई छोटे-बड़े देवालय और शांत सरोवर इस स्थान को और भी पवित्र बना देते हैं। सुबह की पहली किरण जब मंदिर की गुम्बदों पर पड़ती है, तो उसका दृश्य मन को छू लेने वाला होता है। ऐसा लगता है मानो सूर्य भी इस पावन भूमि को प्रणाम कर रहा हो। यहां पहुँचते ही भीड़-भाड़ भरी दुनिया पीछे छूट जाती है और मन में एक अद्भुत शांति उतर आती है। मुचुकुंद मंदिर की ख़ासियत सिर्फ़ इसकी वास्तुकला या धार्मिक महत्व में नहीं, बल्कि उन कहानियों में है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रह...

दुनिया के पहले फ़ोटो के बारे में जानकारी बहुत ज्ञान वर्धक लगा । इसी तरह के सुंदर लेख अपने ब्लॉग The Bolti Kalam पर प्रकाशित करते रहें ।
जवाब देंहटाएं- सुदर्शन
Thanks for great information.
जवाब देंहटाएं- Sudarshan
WELCOME SIR
जवाब देंहटाएंapka sdhanyavad ji
जवाब देंहटाएंthanks ji apka
जवाब देंहटाएंdhayav ji apka
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