लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य

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हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा लाहौल-स्पीति एक ऐसा इलाका है जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति का नया रंग दिखता है। ऊँचे-ऊँचे बर्फ़ से ढके पहाड़, नीले आसमान के नीचे चमकती नदियाँ, और प्राचीन मठों की घंटियाँ—ये सब मिलकर उस शांति का एहसास कराते हैं जो शब्दों से परे है। यहाँ की हवा में एक अलग ताज़गी है, जैसे हर सांस में हिमालय की आत्मा बसती हो। लाहौल-स्पीति की धरती पर कदम रखते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी और दुनिया में आ गए हों। पत्थर के बने छोटे-छोटे गाँव, लकड़ी और मिट्टी से बने घर, और दूर-दूर तक फैली निस्तब्ध वादियाँ—इन सबमें जीवन की एक सरल लय बहती है। यहाँ का हर दिन सूर्योदय से शुरू होता है जब बर्फ़ से ढकी चोटियों पर सुनहरी किरणें पड़ती हैं, और शाम होते-होते पूरा आसमान लालिमा से रंग जाता है। यह इलाका सिर्फ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के मठ, जैसे की-मठ या ताबो मठ, इस क्षेत्र की आत्मा हैं। यहाँ की प्रार्थनाओं की ध्वनि और घूमते हुए प्रार्थना-चक्र इस घाटी में एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण रचते हैं। स्थानीय लोग सादगी और अपनापन से भरे हैं, औ...

प्रतापगढ़ विलेज थीम रिज़ॉर्ट Haryana — शहर के शोर से दूर देहात की सुकून भरी झलक


दिल्ली और गुरुग्राम से कुछ ही घंटों की दूरी पर बसा यह रिज़ॉर्ट परिवार, दोस्तों और बच्चों के लिए एक परफेक्ट वीकेंड डेस्टिनेशन है। यहाँ पहुँचते ही मिट्टी के घर, चरखी, बैलगाड़ी, ऊँट की सवारी और पारंपरिक हरियाणवी पोशाकों में सजे लोग आपका स्वागत करते हैं।

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रिज़ॉर्ट के भीतर हरियाणवी, पंजाबी और राजस्थानी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। गाँव की चौपाल जैसी जगहों पर लोकनृत्य, रस्साकशी, पिट्ठू, कबड्डी और अन्य देसी खेलों का मज़ा लिया जा सकता है। बच्चे मिट्टी के खिलौने बनाना, बायोगैस प्लांट देखना या बागवानी करना सीखते हैं — जो शहरी जीवन से एक ताज़गी भरा बदलाव लाता है।

यहाँ का देसी खाना इसकी सबसे बड़ी पहचान है — सरसों का साग, मक्के की रोटी, दही, लस्सी, गुड़ और ताज़े देसी घी की महक हर किसी को गाँव के स्वाद

की याद दिला देती है। सुबह का नाश्ता से लेकर दोपहर का भोजन तक सब कुछ पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाता है।

प्रतापगढ़ विलेज रिज़ॉर्ट न केवल एक मनोरंजन स्थल है, बल्कि यह बच्चों और युवाओं को भारतीय संस्कृति और ग्रामीण जीवन से जोड़ने का एक सुंदर माध्यम भी है। यहाँ आकर आपको एहसास होता है कि असली भारत आज भी अपनी परंपरा, सादगी और मेहमाननवाज़ी में बसा है।

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