चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

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  जयपुर की शाम जब सुनहरे रंगों में ढलने लगती है, तब शहर के शोर से दूर एक ऐसी जगह आपका इंतज़ार कर रही होती है जहाँ राजस्थान अपनी पूरी परंपरा, रंग और मिठास के साथ ज़िंदा दिखाई देता है। यह जगह है चौखी धानी—एक ऐसा गाँव-थीम रेस्टोरेंट जो सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण चौखी धानी के द्वार पर कदम रखते ही मिट्टी की सौंधी खुशबू और लोक संगीत की मधुर धुनें आपका स्वागत करती हैं। चारों ओर मिट्टी की कच्ची दीवारें, रंग-बिरंगे चित्र, लालटेन की रोशनी और देहाती माहौल मिलकर दिल में एक अनोखी गर्माहट भर देते हैं। ऐसा लगता है मानो शहर की तेज़ रफ़्तार से निकलकर आप किसी सुदूर गाँव की शांति में पहुँच गए हों। अंदर थोड़ा और आगे बढ़ते ही लोक कलाकारों की टोलियाँ नजर आती हैं। कोई घूमर की लय पर थिरक रहा है, कोई कालबेलिया की मोहक मुद्राओं में समाया हुआ है। कभी अचानक ही कोई कठपुतली वाला अपनी लकड़ी की गुड़ियों को जीवंत करता दिखाई देता है, तो कहीं बाजे की धुनें आपके

एक आवाज़ जो ब्रांड बन गई — पीयूष पांडे का आख़िरी सलाम

 

भारतीय विज्ञापन जगत का एक सितारा हमेशा के लिए खामोश हो गया।कुछ खास है जिंदगी में”, “Fevicol का जोड़”, “हर खुशी में रंग लाए” जैसे जुमले गढ़ने वाले पीयूष पांडे अब हमारे बीच नहीं रहे।

24 अक्टूबर 2025 की सुबह, जब यह खबर आई कि 70 वर्ष की उम्र में यह दिग्गज हमें छोड़ गए, तो पूरे मीडिया और विज्ञापन जगत में सन्नाटा छा गया।

राजस्थान के जयपुर में जन्मे पीयूष जी ने जीवन की शुरुआत क्रिकेट और चाय के कारोबार से की थी, लेकिन किस्मत ने उन्हें कहानी सुनाने की

दुनिया में ला खड़ा किया।

1982 में उन्होंने Ogilvy & Mather India से जुड़कर भारतीय विज्ञापन में ऐसा दौर शुरू किया जिसमें भारतीयता, भावनाएँ और हास्य एक साथ बोले।उनके विज्ञापन किसी विदेशी फार्मूले पर नहीं, बल्कि भारत की धड़कन पर लिखे जाते थे —गांव-कस्बों की खुशबू, माटी की भाषा, और लोगों की मुस्कान उनके हर फ्रेम में नजर आती थी।

Cadbury के "कुछ खास है" अभियान ने हमें रिश्तों की मिठास सिखाई, Fevicol के जोड़ ने एकता की ताकत दिखाई,और Vodafone के प्यारे-से Zoozoo ने डिजिटल युग में भी इंसानियत का एहसास कराया।उनका मानना था “विज्ञापन वह कहानी है जो बिकती नहीं, बस दिल में बस जाती है।”शायद इसलिए उनके अभियान आज भी हमारे जेहन में जीवित हैं।

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