लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य
ज़ोहरन का जन्म 1991 में उगांडा के कम्पाला में हुआ। उनके पिता मह्मूद ममदानी एक विद्वान थे और माँ मीरा नायर एक प्रसिद्ध फ़िल्म निर्देशक। परिवार जल्द ही न्यूयॉर्क आ गया, जहाँ ज़ोहरन ने अपनी शिक्षा और सामाजिक जागरूकता की नींव रखी।
उन्होंने Bowdoin College से 2014 में Africana Studies में डिग्री प्राप्त की। कॉलेज में उन्होंने सामाजिक न्याय, असमानता और समुदाय की समस्याओं को समझना शुरू किया, जिसने उनकी राजनीतिक दिशा को आकार दिया।
कॉलेज के बाद ज़ोहरन ने हाउसिंग एक्टिविस्ट के तौर पर काम किया। 2020 में उन्होंने Astoria, Queens से न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली का चुनाव लड़ा और विजयी हुए।
उनकी राजनीति का मूल मंत्र था:
“सरकार अमीरों के लिए नहीं, आम लोगों के लिए होनी चाहिए।”
ज़ोहरन खुद को एक Democratic Socialist मानते हैं। उन्हें अक्सर वामपंथी विचारों के लिए आलोचना झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों पर कभी समझौता नहीं किया। उनकी सोच Bernie Sanders और Alexandria Ocasio-Cortez जैसी प्रगतिशील राजनीति से प्रेरित रही।
उनकी मान्यता थी:
“सत्ता का असली अर्थ तभी है जब यह लोगों की ज़िंदगी बेहतर बनाए।”
2025 के मेयर चुनाव में बहुतों ने सोचा कि एक युवा मुस्लिम-भारतीय मूल का उम्मीदवार न्यूयॉर्क जैसे विशाल शहर में जीत पाएगा या नहीं। लेकिन ममदानी ने लोगों के बीच रहने और संवाद करने की रणनीति अपनाई।
उनके प्रमुख वादे थे:
ये नीतियाँ आम न्यूयॉर्कवासी की रोज़मर्रा की जरूरतों को पूरा करती थीं।
4 नवंबर 2025 की रात ज़ोहरन ममदानी ने लगभग 62% वोटों से जीत हासिल की। यह न केवल एक चुनावी सफलता थी, बल्कि न्यूयॉर्क की राजनीति में नया विचार और नया चेहरा लाने का प्रतीक थी।
विजयी भाषण में उन्होंने कहा:
“मैं उस शहर का मेयर हूँ जहाँ हर रंग, हर धर्म और हर सपने को बराबर हक़ है।”
ममदानी के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं:
लेकिन उनकी सोच है कि “लोगों के लिए, लोगों के साथ” सरकार चलाकर न्यूयॉर्क को न्यायपूर्ण और समावेशी शहर बनाया जा सकता है।
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