चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

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  जयपुर की शाम जब सुनहरे रंगों में ढलने लगती है, तब शहर के शोर से दूर एक ऐसी जगह आपका इंतज़ार कर रही होती है जहाँ राजस्थान अपनी पूरी परंपरा, रंग और मिठास के साथ ज़िंदा दिखाई देता है। यह जगह है चौखी धानी—एक ऐसा गाँव-थीम रेस्टोरेंट जो सिर्फ भोजन ही नहीं, बल्कि संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है। Read Also: भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण चौखी धानी के द्वार पर कदम रखते ही मिट्टी की सौंधी खुशबू और लोक संगीत की मधुर धुनें आपका स्वागत करती हैं। चारों ओर मिट्टी की कच्ची दीवारें, रंग-बिरंगे चित्र, लालटेन की रोशनी और देहाती माहौल मिलकर दिल में एक अनोखी गर्माहट भर देते हैं। ऐसा लगता है मानो शहर की तेज़ रफ़्तार से निकलकर आप किसी सुदूर गाँव की शांति में पहुँच गए हों। अंदर थोड़ा और आगे बढ़ते ही लोक कलाकारों की टोलियाँ नजर आती हैं। कोई घूमर की लय पर थिरक रहा है, कोई कालबेलिया की मोहक मुद्राओं में समाया हुआ है। कभी अचानक ही कोई कठपुतली वाला अपनी लकड़ी की गुड़ियों को जीवंत करता दिखाई देता है, तो कहीं बाजे की धुनें आपके

जब वो जेलर हुआ अमर — गुडबाय Asrani

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आज हम याद कर रहे हैं हिन्दी सिनेमा के एक चमकते सितारे, जिनकी हँसी ने हमारे दिलों में बचपन की यादें बुन दी थीं — Govardhan Asrani (अस्रानी जी)।वे आज हमारे बीच नहीं रहे। 20 अक्टूबर 2025 को मुंबई के एरोग़्य निधि अस्पताल, जुहू में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। अस्रानी जी का जन्म जयपुर में हुआ था। संघर्षों से भरी शुरुआत के बाद उन्होंने बॉलीवुड में एंट्री की। 

उनके पिता कालीन बेचते थे, और अस्रानी जी दिन में पढ़ते, रात में वॉयस‑आर्टिस्ट का काम करते थे। 
उनकी सबसे यादगार भूमिका रही फिल्म Sholay में “अंग्रेजों के जमाने का जेलर” का किरदार। इसके साथ ही उन्होंने कई दशक तक हिंदी सिनेमा में हास्य‑निर्माण किया, 350+ फिल्मों में काम किया और हर पीढ़ी को हँसाया। अस्पताल में भर्ती थे, फेफड़ों में “पानी जमा होने” की समस्या थी। 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे उनका देहांत हुआ। उन्होंने चाहा था कि उनकी अंतिम

क्रिया शांतिपूर्वक हो, सार्वजनिक समारोह न हो।फ़िल्म जगत ने बड़े दुख के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी  Salman Khan, Hema Malini सहित कई कलाकारों ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश दिए

अस्रानी जी का चुटीला अंदाज़, उनका सहज हास्य, और हर किरदार में सच्चाई भर डालने का हुनर — ये सब हमें आज भी मुस्कुराने पर मजबूर कर देते हैं।
उनकी वो कॉमिक डायलॉग्स, वो तस्वीरें, वो पल — आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमारी यादों में हमेशा जीवित रहेंगे।हमें उन्हें सिर्फ एक अभिनेता के रूप में नहीं बल्कि हँसी का उद्गम और इंसानियत के प्रतीक के रूप में याद रखना चाहिए।

उनकी विरासत हमें सिखाती है कि असली महानता सिर्फ स्क्रीन पर नहीं बल्कि दिलों में बसने में होती है।

ॐ शांति। स्वर्ग में आपकी आत्मा को शांति मिले, अस्रानी जी।

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