चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है
यही वह स्थान है जहाँ भरत मिलाप का वह हृदयस्पर्शी दृश्य हुआ था — जब भरत ने सिंहासन स्वीकारने से इनकार कर श्रीराम के चरणों में राज्य समर्पित कर दिया। वह क्षण आज भी हर भक्त के हृदय में अमिट है
चित्रकूट का हृदय है मंदाकिनी नदी।
यह नदी केवल जलधारा नहीं, भक्ति की धारा है। संध्या के समय जब भक्तजन दीप प्रवाहित करते हैं, तो पूरा तट दिव्य प्रकाश से जगमगा उठता है। मानो धरती स्वयं दीपमालिका से राम-नाम का उत्सव मना रही हो।
“मंदाकिनी की लहरों में,
राम कथा की गूंज है।
हर जल-बिंदु में भक्ति है,
हर तरंग में पूज है।”
चित्रकूट का सबसे प्रसिद्ध स्थान है कामदगिरि पर्वत।
ऐसा माना जाता है कि यह पर्वत स्वयं भगवान श्रीराम का स्वरूप है। यहाँ परिक्रमा करने से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन लगभग पाँच किलोमीटर की यह परिक्रमा करते हैं, जहाँ हर कदम भक्ति से ओतप्रोत होता है।
परिक्रमा मार्ग में छोटे-छोटे मंदिर, साधु-संतों के आश्रम और रामनाम के स्वर गूंजते रहते हैं। यहाँ एक अजीब-सी शांति है — जो शब्दों में नहीं, सिर्फ अनुभूति में उतरती है
भरत मिलाप मंदिर चित्रकूट की आत्मा कहा जा सकता है।
यहीं वह क्षण हुआ था जब भरत और श्रीराम गले मिले थे — एक ने राज्य का भार अस्वीकार किया और दूसरे ने अपने धर्म का पालन करते हुए वनवास जारी रखा। यह मंदिर हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम त्याग में है, अधिकार में नहीं।
मंदाकिनी तट पर स्थित माता अनसूया आश्रम उस महान ऋषिकन्या का स्थान है जिन्होंने पतिव्रता धर्म का आदर्श स्थापित किया। कहा जाता है कि माता अनसूया के तप से तीनों देव — ब्रह्मा, विष्णु और महेश — बालक रूप में अवतरित हुए थे।
यह स्थान नारी शक्ति, तपस्या और मातृत्व का प्रतीक है।
चित्रकूट न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ घने जंगल, शांत झरने, पर्वतीय घाटियाँ और पक्षियों की मधुर आवाज़ मन को मोह लेती है।
बरसात के मौसम में चित्रकूट का हर कोना हरा-भरा हो उठता है, मानो प्रकृति स्वयं राम-सीता के स्वागत में सजी हो।
🕊️ यात्रा अनुभव — एक व्यक्तिगत भाव
जब आप चित्रकूट की धरती पर कदम रखते हैं, तो यह स्थान केवल “देखने” का नहीं बल्कि “महसूस करने” का है।
यहाँ के घाटों पर बैठकर जब आप मंदाकिनी के प्रवाह को सुनते हैं, तो लगता है जैसे समय ठहर गया हो — और आपके भीतर एक गहरी शांति उतर आई हो।
“चित्रकूट में भक्ति नहीं खोजनी पड़ती,
वह खुद आकर आपकी आत्मा में घर कर लेती है।”
🚩 कैसे पहुँचें
रेल मार्ग: चित्रकूट धाम करवी रेलवे स्टेशन (उत्तर प्रदेश) से 8 कि.मी.
सड़क मार्ग: सतना, प्रयागराज, बांदा, रीवा आदि शहरों से सीधा मार्ग उपलब्ध।
वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा खजुराहो (175 कि.मी.) या प्रयागराज (130 कि.मी.)।
🍃 घूमने लायक प्रमुख स्थल
मंदाकिनी नदी घाट
कामदगिरि पर्वत परिक्रमा मार्ग
भरत मिलाप मंदिर
माता अनसूया आश्रम
स्फटिक शिला
हनुमान धारा
गुप्त गोदावरी
चित्रकूट केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, यह भारत की आत्मा का प्रतीक है।
यहाँ की मिट्टी में राम का प्रेम है, सीता का स्नेह है, लक्ष्मण की निष्ठा है और भरत का त्याग है।
जब आप यहाँ आते हैं, तो लौटते हुए आपके मन में बस एक ही बात रह जाती है —
“यह भूमि सचमुच बोलती है... भक्ति की भाषा में।”
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