चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है
ऑनलाइन शॉपिंग से पहले लोग अपने शहर या कस्बे के बाजार में जाकर ही सामान खरीदते थे। शादी हो, त्योहार हो या रोज़मर्रा का राशन, हर चीज़ के लिए दुकान पर जाना ज़रूरी होता था। दुकानदार से बात करते हुए मोलभाव किया जाता, प्रोडक्ट को हाथ से छूकर देखा जाता और फिर भरोसे से खरीदा जाता।
उदाहरण के लिए 2000 से 2010 तक के समय में ज्यादातर लोग त्योहारी सीज़न में कपड़ों की खरीदारी के लिए स्थानीय मार्केट में जाते थे। बड़ी-बड़ी दुकानों में भीड़ लग जाती थी। दुकानदार ग्राहक को पहचानते थे और कई बार उधार पर भी सामान दे देते थे। मोबाइल पर पेमेंट का चलन नहीं था, ज़्यादातर लोग नकद में ही भुगतान करते थे।
दिवाली या शादी के मौसम में पूरे बाजार में उत्सव जैसा माहौल होता था। कपड़े खरीदने के लिए दर्जियों की दुकान पर माप लिया जाता और नए कपड़े
सिलवाए जाते। मिठाई की दुकानों पर भीड़ रहती और गिफ्ट पैक वहीं से बनवाए जाते। न तो कोई ऐप था, न डिलीवरी बॉय। अगर कुछ चाहिए तो खुद जाकर खरीदना ही एकमात्र तरीका था।उदाहरण के तौर पर लोग चप्पल या कपड़े के लिए बटुआ लेकर पास की मार्केट में जाते थे। एक ही प्रोडक्ट देखने में भी समय लगता था क्योंकि लोग एक के बाद एक दुकान में दाम और क्वालिटी की तुलना करते थे।
समय के साथ मोबाइल और इंटरनेट ने खरीदारी का तरीका बदल दिया। अब वही काम जो पहले पूरा दिन लेता था, कुछ मिनट में पूरा हो जाता है। लोग Flipkart, Amazon या Meesho जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर
हज़ारों प्रोडक्ट देख सकते हैं और घर बैठे ऑर्डर कर सकते हैं।
अब लोगों को न भीड़ में जाना पड़ता है, न मोलभाव करना पड़ता है। ऑफर और डिस्काउंट की वजह से ऑनलाइन शॉपिंग और भी लोकप्रिय हो गई है। यहाँ तक कि छोटे शहरों और गाँवों में भी अब लोग मोबाइल से खरीदारी कर रहे हैं।
पहले लोग दुकान जाकर खरीदारी करते थे। अब ज़्यादातर लोग मोबाइल पर ऑर्डर कर देते हैं। पहले दुकानदार के चेहरे पर भरोसा होता था, आज ऐप के रिव्यू और रेटिंग पर। पहले मोलभाव में मज़ा आता था, अब ऑनलाइन फिक्स प्राइस होता है। पहले तुरंत सामान हाथ में मिल जाता था, अब कुछ दिन डिलीवरी का इंतज़ार करना पड़ता है।
आज कई पारंपरिक दुकानें खुद भी ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आ रही हैं। लोग ऑनलाइन देखकर दुकान से खरीदते हैं, और कई बार दुकान देखकर ऑनलाइन ऑर्डर करते हैं। आने वाला समय ऐसा होगा जहाँ दोनों तरीकों का मेल होगा — सुविधा भी रहेगी और भरोसा भी।
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