नागौर का मेला : क्या आप जानते हैं इसका एक रहस्य सदियों से छिपा है?

चित्र
  राजस्थान अपनी रंगीन संस्कृति, लोक परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है नागौर का प्रसिद्ध मेला, जिसे लोग नागौर पशु मेला या रामदेवजी का मेला भी कहते हैं। यह मेला हर साल नागौर को एक अनोखे रंग में रंग देता है, जहाँ परंपरा, व्यापार, लोक-कलाएँ और ग्रामीण जीवन की असली झलक देखने को मिलती है। मेले की ऐतिहासिक पहचान नागौर का मेला सदियों पुराना है। प्रारंभ में यह मुख्य रूप से पशु व्यापार के लिए जाना जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक समृद्ध सांस्कृतिक आयोजन बन गया। यह मेला आज राजस्थान की मिट्टी, लोकगीतों, खान-पान और ग्रामीण जीवन की रौनक को करीब से दिखाने वाली परंपरा बन चुका है। इसका महत्व सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया का प्रमुख पशु मेला नागौर मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक माना जाता है। यहाँ हर साल हजारों पशुपालक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों से पहुँचते हैं। विशेष रूप से नागौरी बैल, मारवाड़ी घोड़े और सजे-धजे ऊँट मेले की शान कहलाते है...

क्या भूटान के लोग दुनिया में सबसे अधिक खुश हैं, क्या यह पूरी तरह से सही है ?

एक अन्य स्टोरी ,जैसलमेर की सरहद पर ज़िंदगी: आखिरी गाँव की कहानी भी पढ़ें 

(GNH) मॉडल और भूटानी जीवनशैली का रहस्य
जब भी "सबसे खुशहाल देश" की बात होती है, तो भूटान का नाम ज़रूर लिया जाता है। यह छोटा हिमालयी देश अपने अनोखे विकास मॉडल "ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस" (GNH) के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन क्या वाकई में भूटानी लोग दुनिया के सबसे खुशहाल लोग हैं? आइए जानते हैं।

 भूटान का ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस मॉडल

भूटान ने 1970 के दशक में यह घोषित किया कि देश का विकास केवल GDP (Gross Domestic Product) से नहीं मापा जाएगा, बल्कि Gross National Happiness से होगा। इस मॉडल में 9 मुख्य स्तंभ होते हैं:

1. मानसिक सुख-शांति

2. स्वास्थ्य

3. शिक्षा

4. अच्छे प्रशासन

5. सांस्कृतिक संरक्षण

6. पारिस्थितिक संतुलन

7. समय का सदुपयोग

8. समुदाय की जीवन शक्ति

9. जीवन स्तर

इस मॉडल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विकास लोगों के जीवन में असली खुशियाँ और संतुलन लाए।

क्या भूटान वाकई सबसे खुश देश है?

हालाँकि भूटान का GNH मॉडल सराहनीय है, लेकिन **World Happiness Report** जैसे वैश्विक रिपोर्टों में भूटान टॉप 10 देशों में नहीं आता। इन रिपोर्टों में आमतौर पर फिनलैंड, डेनमार्क और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश शीर्ष पर रहते हैं।

फिर भी, भूटान की खासियत यह है कि वहाँ के लोग सादगी, प्रकृति के करीब जीवन, और आध्यात्मिक संतुलन को प्राथमिकता देते हैं। यही कारण है कि भूटानी लोग अक्सर आत्मिक संतोष में दूसरों से आगे माने जाते हैं।

निष्कर्ष

भूटान के लोग शायद "सांख्यिकीय रूप से" दुनिया के सबसे खुशहाल ना हों, लेकिन उनका जीवन दर्शन और शासन मॉडल उन्हें विशेष ज़रूर बनाता है। GNH जैसी सोच आज के भौतिकतावादी युग में एक प्रेरणा है कि सच्ची खुशी कहाँ से आती है -बाहर की चीज़ों से नहीं, बल्कि भीतर की संतुलन और शांति से।

टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट

प्रतापगढ़ विलेज थीम रिज़ॉर्ट Haryana — शहर के शोर से दूर देहात की सुकून भरी झलक

भीमबेटका: मानव सभ्यता के आरंभ का अद्भुत प्रमाण

नामीबिया: भारत के यात्रियों के लिए अफ्रीका का अनछुआ हीरा

जारवा: अंडमान के रहस्यमयी आदिवासी जो आज भी मौजूद हैं

माउंट आबू: अरावली की गोद में सजी प्राकृतिक स्वर्ग नगरी

जिनेवा और इंटरलाकेन में देखने को मिलता है बॉलीवुड का जादू

चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है

डिजिटल दुनिया की मार : आँखें थकीं, कान पके

दुनिया की पहली फोटो की कहानी

“आस्था और इतिहास की झलक: आगरा का दयालबाग मंदिर”