वृंदावन: मैसूर की एक रंगीन शाम
- लिंक पाएं
- X
- ईमेल
- दूसरे ऐप
कभी-कभी यात्रा सिर्फ रास्तों का सफ़र नहीं होती, वह मन के भीतर उतरकर एक कहानी बन जाती है। मैसूर का वृंदावन ऐसा ही एक स्थान है—जहाँ कदम-कदम पर रंग, रोशनी और संगीत आत्मा को छूते हैं। शाम की हल्की ठंडक जब हवा में घुलती है, तो लगता है मानो समय कुछ देर के लिए रुक गया हो।
Read Also: चौखी धानी: जयपुर में संस्कृति, कला और देहात की आत्मा को भी अपने साथ समेटे हुए है
चारों ओर फैली झिलमिल रोशनी, पानी की लहरों पर पड़ते रंग, और मधुर संगीत की धीमी धुनें… हर दृश्य यूँ लगता है जैसे किसी चित्रकार की तूलिका से निकला हो। चलते-चलते कई लोग रुककर उस पल को अपने कैमरे में कैद करते हैं, पर मेरे लिए यह अनुभव सिर्फ तस्वीरों में नहीं, शब्दों के भीतर दर्ज होता गया।
वृंदावन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हर दृश्य अपने आप में एक अलग कहानी कहता है। कहीं पानी का उछाल धुनों के साथ नाचता दिखता है, तो कहीं रोशनी की लकीरें आसमान की ओर जाती हुई मन को मोह लेती हैं। इन सबके बीच बैठकर मैंने महसूस किया कि शब्द भी कभी-कभी खुद चलकर कलम तक आ जाते हैं।
उस शाम वहाँ बैठकर ऐसा लगा जैसे प्रकृति अपनी भाषा में कुछ कहना चाहती हो, और मेरी कलम उसे सुनकर लिखने को तैयार बैठी हो। रोशनी के रंग, पानी की ठंडी फुहार, और चारों ओर फैली शांति मेरे भीतर एक अनकही कविता गूँजाती रही।
मैसूर का यह अनुभव सिर्फ देखने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने की चीज है—एक ऐसी जगह जहाँ थोड़ी देर बैठकर कोई भी अपने भीतर की आवाज़ सुन सकता है। शायद यही वजह है कि मेरी बोलती कलम ने भी वहीं जाकर अपनी नई कहानी शुरू की।

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें