चंबल: वाइल्डलाइफ लवर्स के लिए मध्य प्रदेश का छिपा हुआ रत्न

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 मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमाओं के बीच बहने वाली चंबल नदी अपने अनोखे प्राकृतिक वातावरण और दुर्लभ वन्यजीवों के कारण आज भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन चुकी है। कभी डाकुओं की कहानियों के लिए प्रसिद्ध यह इलाका अब प्रकृति प्रेमियों, पक्षी पर्यवेक्षकों और रोमांच यात्रियों के लिए एक आकर्षक जगह बन गया है। यहाँ की चंबल सफारी आपको नदी की वास्तविक सुंदरता, शांत बहाव और उस पारिस्थितिकी तंत्र से रूबरू कराती है जो भारत के अन्य हिस्सों में कम ही देखने को मिलता है। चंबल सफारी मुख्य रूप से नाव के माध्यम से कराई जाती है। नेशनल चंबल सेंक्चुरी के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुए, गंगा डॉल्फ़िन और विभिन्न प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक आवास है। जब नाव धीरे-धीरे नीले पानी के बीच से आगे बढ़ती है तो किनारों पर धूप सेंकते घड़ियाल और शांत बैठी चिड़ियों का दृश्य बेहद मनमोहक लगता है। चंबल नदी दुनिया में उन गिने-चुने स्थानों में शामिल है जहाँ घड़ियाल की संख्या अच्छी मात्रा में मिलती है। उनकी लंबी पतली नाक और शांत स्वभाव उन्हें आसानी से पहचाने योग्य बनाता है। इसके अलावा, कई बार सफ...

वृंदावन: मैसूर की एक रंगीन शाम

 

कभी-कभी यात्रा सिर्फ रास्तों का सफ़र नहीं होती, वह मन के भीतर उतरकर एक कहानी बन जाती है। मैसूर का वृंदावन ऐसा ही एक स्थान है—जहाँ कदम-कदम पर रंग, रोशनी और संगीत आत्मा को छूते हैं। शाम की हल्की ठंडक जब हवा में घुलती है, तो लगता है मानो समय कुछ देर के लिए रुक गया हो।

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चारों ओर फैली झिलमिल रोशनी, पानी की लहरों पर पड़ते रंग, और मधुर संगीत की धीमी धुनें… हर दृश्य यूँ लगता है जैसे किसी चित्रकार की तूलिका से निकला हो। चलते-चलते कई लोग रुककर उस पल को अपने कैमरे में कैद करते हैं, पर मेरे लिए यह अनुभव सिर्फ तस्वीरों में नहीं, शब्दों के भीतर दर्ज होता गया।

वृंदावन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ हर दृश्य अपने आप में एक अलग कहानी कहता है। कहीं पानी का उछाल धुनों के साथ नाचता दिखता है, तो कहीं रोशनी की लकीरें आसमान की ओर जाती हुई मन को मोह लेती हैं। इन सबके बीच बैठकर मैंने महसूस किया कि शब्द भी कभी-कभी खुद चलकर कलम तक आ जाते हैं।

उस शाम वहाँ बैठकर ऐसा लगा जैसे प्रकृति अपनी भाषा में कुछ कहना चाहती हो, और मेरी कलम उसे सुनकर लिखने को तैयार बैठी हो। रोशनी के रंग, पानी की ठंडी फुहार, और चारों ओर फैली शांति मेरे भीतर एक अनकही कविता गूँजाती रही।

मैसूर का यह अनुभव सिर्फ देखने की चीज नहीं, बल्कि महसूस करने की चीज है—एक ऐसी जगह जहाँ थोड़ी देर बैठकर कोई भी अपने भीतर की आवाज़ सुन सकता है। शायद यही वजह है कि मेरी बोलती कलम ने भी वहीं जाकर अपनी नई कहानी शुरू की।

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