नागौर का मेला : क्या आप जानते हैं इसका एक रहस्य सदियों से छिपा है?

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  राजस्थान अपनी रंगीन संस्कृति, लोक परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है नागौर का प्रसिद्ध मेला, जिसे लोग नागौर पशु मेला या रामदेवजी का मेला भी कहते हैं। यह मेला हर साल नागौर को एक अनोखे रंग में रंग देता है, जहाँ परंपरा, व्यापार, लोक-कलाएँ और ग्रामीण जीवन की असली झलक देखने को मिलती है। मेले की ऐतिहासिक पहचान नागौर का मेला सदियों पुराना है। प्रारंभ में यह मुख्य रूप से पशु व्यापार के लिए जाना जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक समृद्ध सांस्कृतिक आयोजन बन गया। यह मेला आज राजस्थान की मिट्टी, लोकगीतों, खान-पान और ग्रामीण जीवन की रौनक को करीब से दिखाने वाली परंपरा बन चुका है। इसका महत्व सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया का प्रमुख पशु मेला नागौर मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक माना जाता है। यहाँ हर साल हजारों पशुपालक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों से पहुँचते हैं। विशेष रूप से नागौरी बैल, मारवाड़ी घोड़े और सजे-धजे ऊँट मेले की शान कहलाते है...

लद्दाख की अनोखी विवाह प्रणाली: परंपरा और आधुनिकता का संगम

अनोखी विवाह प्रणाली
भारत के उत्तर में स्थित लद्दाख अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ठंडे मौसम और बौद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन यहाँ की एक और खास बात है -इसकी विवाह प्रणाली। लद्दाख में शादी केवल दो लोगों का मिलन नहीं होती, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव की तरह मनाई जाती है। पारंपरिक रीति-रिवाज़, पारिवारिक निर्णय और समुदाय की भागीदारी इस प्रथा को और भी अनोखा बना देती है।

 पारंपरिक ‘अरेंज मैरिज’ की प्रथा

लद्दाख में शादी प्रायः अरेंज मैरिज यानी पारिवारिक तय की गई शादियों के रूप में होती है। विवाह के लिए वर और वधू के परिवार आपस में बैठकर निर्णय लेते हैं।

कई बार बच्चे की शादी का प्रस्ताव बचपन में ही तय कर दिया जाता है।

वर और वधू की राशि, परिवार की स्थिति और समाज में प्रतिष्ठा को ध्यान में रखा जाता है।

शादी की तारीख ज्योतिष के अनुसार निकाली जाती है और इसे बहुत शुभ अवसर माना जाता है।

विशेष बात– लद्दाख में शादी से पहले दोनों परिवारों के बीच आपसी सम्मान और

रिश्ते की मज़बूती को प्राथमिकता दी जाती है।

‘फ्रेटर्नल पॉलीएंड्री’ – भाईयों की एक ही पत्नी की परंपरा

लद्दाख में एक समय पर Fraternal Polyandry नाम की एक अनोखी विवाह प्रथा प्रचलित थी।

इसमें एक महिला की शादी परिवार के सभी भाइयों से कर दी जाती थी।

इसका उद्देश्य था :

परिवार की ज़मीन और संपत्ति को विभाजित होने से बचाना।

कृषि योग्य ज़मीन को एक साथ रखना।

सामाजिक और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना।


हालांकि आधुनिक शिक्षा, कानून और बदलती सोच के कारण यह प्रथा अब धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। लेकिन पुराने समय में यह लद्दाख की सामाजिक व्यवस्था का अहम हिस्सा थी।

आधुनिक लद्दाख में बदलती सोच

आज लद्दाख में शिक्षा और जागरूकता बढ़ने के साथ विवाह प्रणाली में भी बदलाव आ रहे हैं। युवा अब लव मैरिज को भी स्वीकार कर रहे हैं।

कई लोग शहरों में जाकर शादी करते हैं और आधुनिक जीवन शैली अपना रहे हैं।

 फिर भी पारंपरिक विवाह समारोह और रस्मों का अपना विशेष महत्व आज भी कायम है।

 

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