गरीबी से सफलता तक: 3 असली प्रेरक कहानियाँ
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भारत में फिल्मों और राजनीति का संबंध बहुत पुराना है। दक्षिण भारत में एम.जी. रामचंद्रन, जयललिता और एन.टी. रामाराव जैसे दिग्गज कलाकारों ने जनता के बीच अपार लोकप्रियता हासिल की और बाद में राजनीति में भी उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। हिंदी सिनेमा से भी अनेक कलाकार राजनीति की राह पर चले — चाहे वह सुनील दत्त हों, शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी या स्मृति ईरानी। इन सभी ने अपने अभिनय से लोगों को प्रभावित किया
और फिर अपने राजनीतिक कार्यों से समाज में योगदान देने की कोशिश की।फिल्मी दुनिया से राजनीति में आने का आकर्षण कई कारणों से होता है। एक बड़ा कारण है जनसंपर्क — फिल्म स्टार पहले से ही जनता के बीच लोकप्रिय होते हैं, इसलिए उन्हें पहचान बनाने में समय नहीं लगता। दूसरा कारण है कि वे अपनी प्रसिद्धि का उपयोग सामाजिक संदेश देने या परिवर्तन लाने के लिए करना चाहते हैं। हालांकि, यह भी सच है कि हर सितारा राजनीति में सफल नहीं हो पाता, क्योंकि राजनीति केवल लोकप्रियता से नहीं, बल्कि समर्पण, समझ और सेवा की भावना से चलती है।
फिर भी यह कहा जा सकता है कि फिल्म सितारे राजनीति में एक नई ऊर्जा और नई सोच लेकर आते हैं। वे समाज के उन वर्गों तक संदेश पहुँचा सकते हैं जहाँ परंपरागत नेता कभी-कभी नहीं पहुँच पाते। उनकी उपस्थिति राजनीति को अधिक जनसुलभ और संवादात्मक बनाती है।
अंततः, सिनेमा और राजनीति दोनों का लक्ष्य जनता से जुड़ना है — एक पर्दे पर और दूसरा धरातल पर। जब ये दोनों रास्ते मिलते हैं, तो एक नया अध्याय बनता है, जिसमें चमक भी है और चुनौती भी। फिल्म सितारों का राजनीति में आकर्षण इसलिए बना रहेगा, क्योंकि वे जनता के सपनों और उम्मीदों का आईना हैं।
बहुत सुंदर लेख धन्यवाद - नागर
जवाब देंहटाएंdhanyavad ji l ekh ko pasand karney key liey
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