समय में थमा हुआ शहर चेत्तिनाड,जहाँ हवेलियाँ बोलती हैं

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  Chettinad a timeless town दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित चेत्तिनाड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने भारतीय इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई है। यह क्षेत्र नागरथर या चेत्तियार समुदाय का पारंपरिक घर माना जाता है। नागरथर समुदाय अपनी व्यापारिक समझ, उदार दानशीलता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। सदियों पहले जब भारत व्यापार के केंद्रों में से एक था, तब इस समुदाय ने बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में व्यापार का विशाल नेटवर्क स्थापित किया। इस वैश्विक दृष्टि और संगठन ने चेत्तिनाड को समृद्धि और पहचान दिलाई। भव्य हवेलियों में झलकती समृद्धि चेत्तिनाड की सबसे प्रभावशाली पहचान इसकी भव्य हवेलियों में झलकती है। इन हवेलियों का निर्माण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब नागरथर व्यापारी वर्ग अपने स्वर्ण काल में था। बर्मी टीक की लकड़ी, इटली की टाइलें और यूरोपीय संगमरमर से सजे ये घर भारतीय पारंपरिक वास्तुकला और विदेशी प्रभाव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। विशाल आंगन, नक्काशीदार दरवाजे और कलात्मक खिड़कियाँ इन हवेलियों को एक अलग ही भव्यता प्रदान करती हैं। ...

ॐ जय जगदीश हरे आरती लिखने वाले श्रद्धाराम फ्लोरी का 3 0, 2025 सितंबर को 175 वी वर्षगाँठ है



 ओम जय जगदीश हरे...ये आरती उत्तर भारत में वर्षों से करोड़ों हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को स्वर देती रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके रचयिता पर ब्रितानी सरकार के खिलाफ प्रचार करने के आरोप भी लगे थे?

पंजाब के छोटे से शहर फिल्लौर के रहने वाले श्रद्धा राम फिल्लौरी ने इस आरती को शब्द दिए थे. 30 सितंबर को उनकी 175वीं वर्षगांठ है.

आरती में शामिल पंक्ति - 'श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा' में श्रद्धा शब्द जहां धार्मिक श्रद्धा बढ़ाने को कहता है, वहीं ये संभवतः इसके रचयिता की तरफ भी इशारा करता है.

फिल्लौरी का हिंदी साहित्य में भी अहम योगदान रहा है. कुछ विद्वान 1888 में आए उनके उपन्यास 'भाग्यवती' को हिंदी का पहला उपन्यास मानते हैं.

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