समय में थमा हुआ शहर चेत्तिनाड,जहाँ हवेलियाँ बोलती हैं

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  Chettinad a timeless town दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित चेत्तिनाड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने भारतीय इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई है। यह क्षेत्र नागरथर या चेत्तियार समुदाय का पारंपरिक घर माना जाता है। नागरथर समुदाय अपनी व्यापारिक समझ, उदार दानशीलता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। सदियों पहले जब भारत व्यापार के केंद्रों में से एक था, तब इस समुदाय ने बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में व्यापार का विशाल नेटवर्क स्थापित किया। इस वैश्विक दृष्टि और संगठन ने चेत्तिनाड को समृद्धि और पहचान दिलाई। भव्य हवेलियों में झलकती समृद्धि चेत्तिनाड की सबसे प्रभावशाली पहचान इसकी भव्य हवेलियों में झलकती है। इन हवेलियों का निर्माण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब नागरथर व्यापारी वर्ग अपने स्वर्ण काल में था। बर्मी टीक की लकड़ी, इटली की टाइलें और यूरोपीय संगमरमर से सजे ये घर भारतीय पारंपरिक वास्तुकला और विदेशी प्रभाव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। विशाल आंगन, नक्काशीदार दरवाजे और कलात्मक खिड़कियाँ इन हवेलियों को एक अलग ही भव्यता प्रदान करती हैं। ...

500 लोगों का यह गांव भारत को कैसे सिखा रहा है स्वच्छता का असली मतलब ?


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गांव मावलिननोंग सफाई और सुंदरता
भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय के एक छोटे से गांव मावलिननोंग ने अपनी सफाई और सुंदरता से पूरे देश में मिसाल कायम कर दी है। इस गांव की जनसंख्या मुश्किल से 500 के आसपास है, लेकिन इसकी पहचान आज एशिया के सबसे स्वच्छ गांव के रूप में होती है। वर्ष 2003 में "डिस्कवर इंडिया" मैगज़ीन ने इसे यह खिताब दिया था, और तभी से यह गांव देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया।

मावलिननोंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां स्वच्छता कोई अभियान नहीं, बल्कि लोगों की दिनचर्या का हिस्सा है। गांव के हर कोने में बांस से बने कूड़ेदान रखे गए हैं और हर निवासी स्वयं सफाई में भाग लेता है। प्लास्टिक का उपयोग लगभग न के बराबर है और पर्यावरण संरक्षण को लेकर लोगों में गहरी समझ है।

इस गांव में आपको रास्तों के किनारे रंग-बिरंगे फूल, बांस से बने सुंदर घर, और साफ-सुथरी गलियां मिलेंगी, जिन्हें देखकर किसी भी बड़े शहर को शर्म आ सकती है। यहां तक कि बारिश के मौसम में भी गांव की गलियां कीचड़ से नहीं भरतीं।एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मावलिननोंग एक मातृसत्तात्मक समाज है। यानी यहां संपत्ति और पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं के नाम होती हैं। यह बात इसे सामाजिक दृष्टिकोण से भी एक उदाहरण बनाती है।

आज जब भारत "स्वच्छ भारत मिशन" की ओर आगे बढ़ रहा है, मावलिननोंग बिना किसी प्रचार के सालों से यह कार्य कर रहा है। यह गांव बताता है कि स्वच्छता केवल योजना नहीं, सोच होती है। यह खबर नहीं, एक प्रेरणा है — जो दिखाती है कि बदलाव छोटे गांवों से भी शुरू हो सकते हैं।

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