एक छोटी सी कहानी है जो "Gen Z" और म्यूज़ियम से जुड़ी है,जानें कैसे ?
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कहानी: "पुराने वक़्त की खुशबू"
आरव, एक 17 साल का लड़का, जिसे स्मार्टफोन, वीडियो गेम और सोशल मीडिया की दुनिया से फुर्सत ही नहीं मिलती थी। एक दिन उसकी दादी ने कहा,
"चलो आरव, आज तुम्हें एक जगह लेकर चलती हूँ जहाँ असली इतिहास बसता है।"
आरव ने आँखें मटकाई, "दादी! फिर से कोई पुराना म्यूज़ियम? वहाँ तो सब बोरिंग होता है!"
लेकिन दादी की जिद के आगे उसकी एक न चली।
वे दोनों शहर के पुराने इतिहास संग्रहालय पहुँचे। आरव ऊबता हुआ सा उनके पीछे-पीछे चल रहा था। पर जब वह वहाँ पहुँचा, तो एक सेक्शन ने उसका ध्यान खींचा — "भारत की स्वतंत्रता संग्राम के नायक"।
वहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की असली वर्दी, गांधी जी का चश्मा और झाँसी की रानी की तलवार रखी थी।
आरव पहली बार रुका।
उसने पूछा, "दादी, क्या ये सब सच में असली है?"
दादी मुस्कुराईं, "हाँ बेटा, ये सब उस दौर की निशानियाँ हैं। तुम्हारे गेम्स में जो 'हीरोज़' होते हैं, उनसे कहीं ज़्यादा असली और बहादुर।"
आरव ने पहली बार म्यूज़ियम को एक नई नजर से देखा — न सिर्फ़ इतिहास की किताबों की तरह, बल्कि एक ज़िंदा कहानी की तरह। उसने अपने फोन से कई फोटो खींचे, और उसी दिन घर आकर एक पोस्ट लिखी:
"हम Gen Z हैं, लेकिन हमारे रूट्स वो हैं जो इन दीवारों पर सजे हैं।"
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