पेरिस की सड़कों पर भारत की यादें : एक पुराना सफर

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Read Also : समय में थमा हुआ शहर चेत्तिनाड,जहाँ हवेलियाँ बोलती हैं   ( भारतीयों का पेरिस से जुड़ाव एक लंबा सफर ) पेरिस, जो कला और संस्कृति का विश्व प्रसिद्ध केंद्र है, सदियों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। भारतीयों का पेरिस से जुड़ाव भी एक लंबा और भावुक सफर रहा है, जो 20वीं सदी की शुरुआत से शुरू होकर आज तक जीवित है। भारतीयों का पेरिस आना मुख्य रूप से शिक्षा, व्यापार और कला की वजह से हुआ। 1900 के दशक के शुरुआती वर्षों में कई भारतीय छात्र और कलाकार उच्च शिक्षा और कला की खोज में पेरिस आए। यहाँ के विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों और कला संस्थानों ने भारतीय युवाओं को अपनी ओर खींचा। फ्रांस की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत ने भारतीयों को एक नया दृष्टिकोण दिया, जिससे दो देशों के बीच एक अनोखा संबंध बना। 1950 और 60 के दशक में भारत की स्वतंत्रता के बाद आर्थिक और सामाजिक कारणों से भारतीय प्रवासियों की संख्या पेरिस में बढ़ी। यहाँ बसे भारतीयों ने न केवल अपने लिए रोजगार और अवसर खोजे, बल्कि अपनी संस्कृति और परंपराओं को भी साथ लेकर आए। योग, आयुर्वेद, संगीत, नृत्य और त्योहारों जैसे होली और दिव...

समय में थमा हुआ शहर चेत्तिनाड,जहाँ हवेलियाँ बोलती हैं

 

Chettinad a timeless town
दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित चेत्तिनाड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने भारतीय इतिहास में अपनी विशेष पहचान बनाई है। यह क्षेत्र नागरथर या चेत्तियार समुदाय का पारंपरिक घर माना जाता है। नागरथर समुदाय अपनी व्यापारिक समझ, उदार दानशीलता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। सदियों पहले जब भारत व्यापार के केंद्रों में से एक था, तब इस समुदाय ने बर्मा, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर जैसे देशों में व्यापार का विशाल नेटवर्क स्थापित किया। इस वैश्विक दृष्टि और संगठन ने चेत्तिनाड को समृद्धि और पहचान दिलाई।

भव्य हवेलियों में झलकती समृद्धि

चेत्तिनाड की सबसे प्रभावशाली पहचान इसकी भव्य हवेलियों में झलकती है। इन हवेलियों का निर्माण उन्नीसवीं और बीसवीं शताब्दी के बीच हुआ था, जब नागरथर व्यापारी वर्ग अपने स्वर्ण काल में था। बर्मी टीक की लकड़ी, इटली की टाइलें और यूरोपीय संगमरमर से सजे ये घर भारतीय पारंपरिक वास्तुकला और विदेशी प्रभाव का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हैं। विशाल आंगन, नक्काशीदार दरवाजे और कलात्मक खिड़कियाँ इन हवेलियों को एक अलग ही भव्यता प्रदान करती हैं।

स्वाद और संस्कृति का अनोखा संगम

चेत्तिनाड की पहचान इसके अनूठे व्यंजनों से भी जुड़ी है। यहाँ के पकवानों में ताजे मसालों और पारंपरिक तरीकों का प्रयोग किया जाता है, जो स्वाद को गहराई देते हैं। चेत्तिनाड व्यंजन अपनी तीव्र सुगंध और तेज मसालों के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ की चिकन करी, विशेष मसाला चावल और पारंपरिक दोसे दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। स्वाद और संस्कृति का यह मेल चेत्तिनाड को भोजन प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनाता है।

धार्मिक आस्था और सामाजिक योगदान

नागरथर समुदाय केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने शिक्षा, धर्म और समाजसेवा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंदिरों, विद्यालयों और सामाजिक संस्थाओं

की स्थापना उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाती है। चेत्तिनाड के मंदिरों की भव्यता और उनकी कलात्मक नक्काशी यह बताती है कि यह समुदाय अपनी आस्था और परंपराओं के प्रति कितना समर्पित रहा है।

आधुनिक समय में भले ही नागरथर समुदाय दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल गया हो, लेकिन उनकी जड़ें आज भी चेत्तिनाड में गहराई से बसी हुई हैं। यह क्षेत्र आज भी अपनी हवेलियों, मंदिरों और भोजन के माध्यम से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। चेत्तिनाड की संस्कृति न केवल अतीत की विरासत है बल्कि वर्तमान में जीवित एक गौरवशाली पहचान भी है।

चेत्तिनाड की कहानी एक ऐसे समुदाय की कहानी है जिसने परंपरा और आधुनिकता के बीच अद्भुत संतुलन स्थापित किया। यही कारण है कि आज भी चेत्तिनाड तमिलनाडु के सांस्कृतिक मानचित्र में एक अनमोल रत्न की तरह चमकता है।

टिप्पणियाँ

  1. चेट्टीनाड के बारे में जानकारी पड़कर , अगली बार वहाँ जाने का प्रोग्राम बना रहा हूँ, धन्यवाद- रघुनाथ

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