नागौर का मेला : क्या आप जानते हैं इसका एक रहस्य सदियों से छिपा है?

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  राजस्थान अपनी रंगीन संस्कृति, लोक परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इसी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है नागौर का प्रसिद्ध मेला, जिसे लोग नागौर पशु मेला या रामदेवजी का मेला भी कहते हैं। यह मेला हर साल नागौर को एक अनोखे रंग में रंग देता है, जहाँ परंपरा, व्यापार, लोक-कलाएँ और ग्रामीण जीवन की असली झलक देखने को मिलती है। मेले की ऐतिहासिक पहचान नागौर का मेला सदियों पुराना है। प्रारंभ में यह मुख्य रूप से पशु व्यापार के लिए जाना जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक समृद्ध सांस्कृतिक आयोजन बन गया। यह मेला आज राजस्थान की मिट्टी, लोकगीतों, खान-पान और ग्रामीण जीवन की रौनक को करीब से दिखाने वाली परंपरा बन चुका है। इसका महत्व सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। एशिया का प्रमुख पशु मेला नागौर मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक माना जाता है। यहाँ हर साल हजारों पशुपालक राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और अन्य राज्यों से पहुँचते हैं। विशेष रूप से नागौरी बैल, मारवाड़ी घोड़े और सजे-धजे ऊँट मेले की शान कहलाते है...

वृंदावन गार्डन, मैसूर: रोशनी और संगीत का अद्भुत संसार

 




कर्नाटक के मैसूर शहर की गोद में बसा वृंदावन गार्डन सिर्फ़ एक बगीचा नहीं, बल्कि मानो प्रकृति और मानव कल्पनाशक्ति का अद्भुत संगम है। जैसे ही शाम का सूरज पहाड़ियों के पीछे ढलता है, यह बगीचा एक नए रूप में जगमगाने लगता है। दूर-दराज़ से आए सैकड़ों कदमों की हल्की-हल्की आहटें और फव्वारों की मधुर छलछलाहट मिलकर ऐसी धुन रचती हैं जो मन को किसी दूसरी ही दुनिया में ले जाती है।

1930 के दशक में बने इस विशाल गार्डन की खूबसूरती उसके छायादार मार्गों, सममित रूप से सजाए गए लॉन, पुष्पों की मनमोहक कतारों और बहते जलप्रपातों में छिपी है। फूलों की खुशबू यहाँ की हवा में इस तरह घुली रहती है कि हर सांस में शांति का स्वाद महसूस होता है। कभी-कभार हवा के हल्के झोंके पेड़ों की पत्तियों को हिलाते हैं, और लगता है जैसे पूरा बगीचा किसी राजसी राग को बजा रहा हो।

यहाँ की सबसे अनोखी और आकर्षक अनुभूति है रात का विश्वप्रसिद्ध म्यूज़िकल फाउंटेन शो। पानी की फुहारें संगीत की ताल पर थिरकती हैं, रंगीन रोशनी उन फुहारों को जादुई रूप देती है, और कुछ ही पलों में दर्शकों की आंखों में विस्मय का एक उजाला भर जाता है। बच्चे हो या बड़े, हर किसी के चेहरे पर इस शो के दौरान एक अनजानी मुस्कान खिल उठती है।

कावेरी नदी के किनारे फैला यह गार्डन सिर्फ़ प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए भी खास है जो शहर की भागदौड़ से दूर कुछ पल सुकून से बिताना चाहते हैं। यहाँ टहलना किसी कविता के शब्दों पर चलने जैसा लगता है—हर मोड़ पर एक नई पंक्ति, हर रोशनी में एक नया अर्थ।

मैसूर आने वाला हर यात्री जब तक वृंदावन गार्डन की रात नहीं देख लेता, तब तक उसकी यात्रा पूरी नहीं मानी जाती। यह वह जगह है जहाँ प्रकृति, कला और प्रकाश मिलकर एक ऐसा अनुभव रचते हैं जिसे मन लंबे समय तक संभाले रखता है।

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