लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य
भारत में मसालों का इतिहास सदियों पुराना है, और इनमें इलायची का नाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। छोटे से फलों में बसी यह खुशबू न केवल भारतीय व्यंजनों को महकाती है, बल्कि इसके औषधीय और आर्थिक महत्व ने इसे विश्व स्तर पर लोकप्रिय बना दिया है।
भारत में इलायची की खेती मुख्य रूप से केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्रों में होती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी इस मसाले के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जाती है। केरल को अक्सर “इलायची की भूमि” कहा जाता है, क्योंकि यहाँ का उत्पादन देश के कुल उत्पादन का सबसे बड़ा हिस्सा देता है।
खेती में छोटे बागान सबसे आम हैं, और अधिकांश किसान पारंपरिक तरीके से इलायची उगाते हैं। हाल के वर्षों में ऑर्गेनिक इलायची की मांग बढ़ने के कारण कई किसानों ने रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक से मुक्त खेती की ओर रुख किया है।
भारत केवल उत्पादन में ही नहीं, बल्कि निर्यात में भी अग्रणी है। यूरोप, मध्य पूर्व और अमेरिका में भारतीय इलायची की मांग लगातार बढ़ रही है। बढ़ती मांग के साथ ही किसानों और व्यापारियों के लिए आय के नए अवसर खुले हैं।
साथ ही, भारत के घरेलू बाजार में भी इलायची की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। चाय, मिठाई और अन्य व्यंजनों में इसका प्रयोग आम है, जिससे यह मसाला हर भारतीय रसोई का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है।
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