लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य
दुनिया में बहुत से लोग अपने जीवन में शांति, प्रेम और करुणा की तलाश में भटकते रहते हैं। कुछ को यह अनुभव किसी साधना में मिलता है, तो कुछ को किसी सच्चे संत के सान्निध्य में। लेकिन एक ऐसी साध्वी हैं जिन्हें लोग प्यार से “अम्मा” कहते हैं — माता अमृतानंदमयी देवी। अम्मा का विशेष उपहार है उनका “हग”, उनका “आलिंगन” — एक ऐसा आलिंगन जो लाखों लोगों के जीवन को बदल चुका है।
केरल की एक साधारण मछुआरे परिवार में जन्मी अम्मा बचपन से ही करुणा और सेवा की प्रतिमूर्ति रहीं। उन्होंने कभी किसी को जाति, धर्म या भाषा से नहीं आँका — उनके लिए हर व्यक्ति प्रेम और ईश्वर की झलक था। समय के साथ अम्मा एक वैश्विक आध्यात्मिक प्रतीक बन गईं। दुनिया भर से लोग उनसे मिलने आते हैं, सिर्फ एक बार उस “दैवीय झप्पी” को पाने के लिए।
जब अम्मा किसी को गले लगाती हैं, तो वह आलिंगन केवल शरीरों का मिलन नहीं होता — वह आत्माओं का संवाद होता है। कहते हैं कि उस एक क्षण में व्यक्ति अपने सारे दुख, भय और अकेलेपन को भूल जाता है। अम्मा की झप्पी से निकलने वाली ऊर्जा प्रेम, करुणा और स्वीकार्यता की लहर की तरह होती है।
कई लोग बताते हैं कि अम्मा के आलिंगन के दौरान उन्हें भीतर गहरी शांति का अनुभव होता है, जैसे किसी माँ की गोद में बचपन लौट आया हो। वैज्ञानिकों ने भी इस प्रभाव को ऑक्सिटोसिन हार्मोन की दृष्टि से देखा है — यह “लव हार्मोन” हमारे मन को शांत करता है और तनाव कम करता है।
अम्मा केवल आलिंगन तक सीमित नहीं हैं; उन्होंने एमए मठ (Mata Amritanandamayi Math) के माध्यम से अनेकों सामाजिक कार्य किए हैं — गरीबों के लिए घर, विद्यार्थियों के लिए शिक्षा, आपदाओं के समय राहत कार्य और अस्पतालों की स्थापना। उनके लिए प्रेम का असली अर्थ है निस्वार्थ सेवा।
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