लाहौल-स्पीति: बर्फ़ीली वादियों का अनकहा सौंदर्य

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हिमाचल प्रदेश की गोद में बसा लाहौल-स्पीति एक ऐसा इलाका है जहाँ हर मोड़ पर प्रकृति का नया रंग दिखता है। ऊँचे-ऊँचे बर्फ़ से ढके पहाड़, नीले आसमान के नीचे चमकती नदियाँ, और प्राचीन मठों की घंटियाँ—ये सब मिलकर उस शांति का एहसास कराते हैं जो शब्दों से परे है। यहाँ की हवा में एक अलग ताज़गी है, जैसे हर सांस में हिमालय की आत्मा बसती हो। लाहौल-स्पीति की धरती पर कदम रखते ही ऐसा लगता है मानो आप किसी और दुनिया में आ गए हों। पत्थर के बने छोटे-छोटे गाँव, लकड़ी और मिट्टी से बने घर, और दूर-दूर तक फैली निस्तब्ध वादियाँ—इन सबमें जीवन की एक सरल लय बहती है। यहाँ का हर दिन सूर्योदय से शुरू होता है जब बर्फ़ से ढकी चोटियों पर सुनहरी किरणें पड़ती हैं, और शाम होते-होते पूरा आसमान लालिमा से रंग जाता है। यह इलाका सिर्फ़ अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति के लिए भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म के मठ, जैसे की-मठ या ताबो मठ, इस क्षेत्र की आत्मा हैं। यहाँ की प्रार्थनाओं की ध्वनि और घूमते हुए प्रार्थना-चक्र इस घाटी में एक अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण रचते हैं। स्थानीय लोग सादगी और अपनापन से भरे हैं, औ...

फोटोग्राफर रघु राय: एक लेंस, हज़ार कहानियाँ

रघु राय: भारतीय फोटोग्राफी का परिचय


भारतीय फोटोग्राफी का नाम आते ही अगर किसी एक कलाकार का चेहरा याद आता है, तो वह हैं रघु राय। छह दशक से अधिक समय से रघु राय ने देश के सामाजिक, राजनीतिक और मानवीय पहलुओं को अपनी तस्वीरों में सहेजा है।

प्रारंभिक जीवन और फोटोग्राफी की शुरुआत

जन्म और परिवार

रघु राय का जन्म 1942 में झंग (अब पाकिस्तान में) हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली आ गया।

करियर की शुरुआत

शुरू में उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन बड़े भाई एस. पॉल ने उन्हें फोटोग्राफी अपनाने के लिए प्रेरित किया। 1966 में रघु राय ने The Statesman अखबार में बतौर फोटोजर्नलिस्ट काम शुरू किया और यहीं से उनकी पहचान बनी।

अंतरराष्ट्रीय पहचान और Magnum Photos

1971 में विश्वप्रसिद्ध फोटोग्राफर हेनरी कार्टियर-ब्रेसॉं ने रघु राय के काम को देखकर उन्हें अंतरराष्ट्रीय एजेंसी Magnum Photos के लिए अनुशंसा की। यहीं से भारतीय फोटोग्राफी को वैश्विक पहचान मिली।

प्रमुख कार्य और सामाजिक दस्तावेज़

बांग्लादेश युद्ध और इंदिरा गांधी की हत्या

रघु राय की कैमरे की नज़र ने भारत के हर रंग को कैद किया, गांव की गलियों से लेकर संसद भवन के गलियारों तक।

भोपाल गैस त्रासदी

1984 की भोपाल गैस त्रासदी पर उनका फोटो-सीरीज़ आज भी फोटोजर्नलिज़्म के इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है। उनकी तस्वीरें केवल घटनाओं की रिपोर्ट नहीं करतीं, बल्कि दर्शक को भीतर तक झकझोर देती हैं।

प्रकाशित किताबें और पुरस्कार

रघु राय की कई किताबें हैं:

  • Raghu Rai’s India
  • Delhi: A City of Cities
  • Mother Teresa: A Life in Pictures
  • Bhopal Gas Tragedy: The Lost Generation

पुरस्कार और सम्मान

1972 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और 2002 में France Academy of Fine Arts Award से नवाजा गया।

वर्तमान योगदान और परिवार

वे आज भी सक्रिय हैं और Raghu Rai Center for Photography के माध्यम से नई पीढ़ी को प्रशिक्षित कर रहे हैं। उनकी बेटी अवनी राय भी एक प्रसिद्ध फोटोग्राफर हैं।

रघु राय की फोटोग्राफी का महत्व

रघु राय की फोटोग्राफी में भारत के विरोधाभास झलकते हैं: धार्मिक आस्था और राजनीतिक तनाव, गरीबी और करुणा, सौंदर्य और संघर्ष। उनका काम दिखाता है कि फोटोग्राफी सिर्फ क्लिक नहीं, बल्कि दृष्टि और अनुभव का संगम है।

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